• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar

PDF Store

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Block Examples
  • Landing Page

Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 4 : स्वदेशी

August 21, 2024 by Ankit Banger Leave a Comment

Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 4 : बिहार बोर्ड कक्षा 10 गोधूलि भाग 2 काव्य खंड के पाठ 4. “स्वदेशी” जिसकी रचना कवि “प्रेमधन” के द्वारा किया गया है | इस कविता के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से जानेगें और साथ-ही-साथ महत्पूर्ण सवालों के बारें में भी तो इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें और सभी अन्य पाठ के लिंक निचे दिया गया हुआ हैं |

कवि प्रेमधन द्वारा रचित “स्वदेशी” कविता में स्वदेशी आंदोलन की महत्ता को दर्शाया गया है। कविता में कवि देशभक्ति की भावना को जागृत करते हुए अपने देश के प्रति प्रेम और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल देते हैं। वे विदेशी वस्त्रों का त्याग कर स्वदेशी वस्त्रों को अपनाने की प्रेरणा देते हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो और विदेशी शासन से मुक्ति पाई जा सके। कवि ने स्वदेशी को न केवल एक आर्थिक आंदोलन के रूप में, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान और स्वतंत्रता का प्रतीक बताया है।

सूचना : अगर आप कमजोर छात्र-छात्रा है तो आपके लिए हम लेकर आये है बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं सभी विषयों का नोट्स PDF अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किया गया | नोट्स PDF + VIP Group जिसमें आपको रोजाना महत्पूर्ण विषयों के ऑनलाइन टेस्ट लिए जायेगें | Download PDF Now

Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 4

Board NameBihar School Examination Board
Class10th
SubjectHindi ( गोधूलि भाग-2 )
Chapterस्वदेशी
Writerबदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’
Sectionकाव्य खंड
LanguageHindi
Exam2025
Last UpdateLast Weeks
Marks100

स्वदेशी

कवि प्रेमधन द्वारा रचित “स्वदेशी” कविता में स्वदेशी आंदोलन के विचारों और देशभक्ति के भावों को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह कविता उस समय के भारत की परिस्थितियों और अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ जागरूकता फैलाने की एक सशक्त माध्यम बनी।

स्वदेशी आंदोलन: यह कविता स्वदेशी आंदोलन के महत्व पर प्रकाश डालती है, जिसमें भारतीयों को अपने देश में बने उत्पादों का उपयोग करने और विदेशी वस्त्रों व वस्तुओं का बहिष्कार करने की प्रेरणा दी गई। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और विदेशी शासन की पकड़ को कमजोर करना था।

देशभक्ति की भावना: कविता में कवि ने देशभक्ति की भावना को उद्बुद्ध किया है। उन्होंने भारतीय जनता से आह्वान किया कि वे अपने देश और उसकी संस्कृति के प्रति गर्व महसूस करें और विदेशी संस्कृति व वस्तुओं को त्याग कर अपने देश के उत्पादों का सम्मान करें।

कविता का उद्देश्य: इस कविता का मुख्य उद्देश्य भारतीयों में आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की भावना को बढ़ाना था। कवि ने अपनी कविता के माध्यम से लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि अपने देश में बने सामान का उपयोग करने से न केवल देश की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि विदेशी शासन के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी जाएगा।

भाषा और शैली: प्रेमधन की भाषा सरल और भावनात्मक है, जो सीधे पाठक के हृदय तक पहुँचती है। कविता की शैली प्रभावशाली है और उसमें स्वदेशी आंदोलन के प्रति कवि की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से दिखती है।

सारांश: “स्वदेशी” कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करती है और देशवासियों को अपने देश की संपत्ति और संस्कृति के प्रति जागरूक और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती है। यह कविता देशभक्ति की भावना को जागृत करने के साथ-साथ भारतीय समाज को स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों के उपयोग के लिए प्रेरित करती है, ताकि देश को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद मिल सके।

स्वदेशी से संबंधित महत्पूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत कविता का शीर्षक “स्वदेशी” अत्यंत उपयुक्त और सार्थक है। यह शीर्षक उस समय की भारतीय सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दर्शाता है जब देश पराधीन था और लोग विदेशी वस्तुओं का अंधाधुंध उपयोग कर रहे थे। कवि ने इस शीर्षक के माध्यम से स्वदेशी वस्त्रों और वस्तुओं को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि देश की संस्कृति और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके। इस प्रकार, “स्वदेशी” शीर्षक पूरी तरह से कविता के भावों को अभिव्यक्त करता है और देशभक्ति की भावना को जागृत करता है।

प्रश्न 2: कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती?

उत्तर:
कवि को भारत में भारतीयता इसलिए नहीं दिखाई पड़ती क्योंकि लोग अंग्रेजी जीवनशैली और विदेशी वस्त्रों, रहन-सहन, और खान-पान को अपनाने में गर्व महसूस करने लगे थे। भारतीय समाज में पाश्चात्य सभ्यता का बोलबाला था, और लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कटते जा रहे थे। नगरों, बाज़ारों, और यहाँ तक कि गाँवों में भी, हर तरफ अंग्रेजी का प्रभाव था। इस स्थिति ने कवि को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि भारत में अब भारतीयता कहीं नजर नहीं आती।

प्रश्न 3: कवि समाज के किस वर्ग की आलोचना करता है और क्यों?

उत्तर:
कवि उस वर्ग की आलोचना करता है जो अंग्रेजी बोलने, विदेशी वस्त्र पहनने और पाश्चात्य सभ्यता को अपनाने में गर्व महसूस करता है। यह वर्ग अपनी भारतीयता को भूलकर विदेशी प्रभावों को अपना रहा था और इसे ही विकास का प्रतीक मान रहा था। अपनी मूल संस्कृति से विमुख होना और विदेशी संस्कृति को अपनाना, कवि के अनुसार, देशहित के खिलाफ था। इस तरह का व्यवहार देश को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से कमजोर बना रहा था, जिसे कवि ने कठोर शब्दों में आलोचना की है।

प्रश्न 4: कवि नगर, बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या टिप्पणी करता है?

उत्तर:
कवि के अनुसार, नगरों में स्वदेशी वस्तुओं की कमी थी और लोग विदेशी वस्तुओं को खरीदने में अधिक रुचि रखते थे। बाजारों में विदेशी सामान की भरमार थी, जिससे विदेशी कंपनियाँ लाभ कमा रही थीं और स्वदेशी उद्योगों को नुकसान हो रहा था। इस स्थिति ने देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया और विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता बढ़ाई। कवि ने इस स्थिति की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय समाज अपनी सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक स्वतंत्रता खोता जा रहा था, जो देश के लिए घातक था।

प्रश्न 5: नेताओं के बारे में कवि की क्या राय है?

उत्तर:
कवि के अनुसार, देश के वर्तमान नेता स्वदेशी वेश-भूषा और भाषा से दूरी बना रहे हैं। वे पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति से प्रभावित हो चुके हैं, और स्वदेशी परंपराओं को अपनाने में संकोच करते हैं। ऐसे नेता, जो अपने देश की संस्कृति और वेश-भूषा को नहीं अपना सकते, वे देश के मार्गदर्शन में कितना सक्षम होंगे, इस पर कवि संदेह व्यक्त करते हैं। कवि का मानना है कि ऐसे नेताओं से देश की सेवा की अपेक्षा करना व्यर्थ है, क्योंकि उनकी सोच और व्यवहार स्वदेशी भावना से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 6: कवि ने डेफाली किसे कहा है और क्यों?

उत्तर:
कवि ने उन लोगों को “डेफाली” कहा है जो पाश्चात्य सभ्यता और विदेशी वस्त्रों के अंधानुकरण में लगे हुए हैं। ये लोग विदेशी रीति-रिवाज और अंग्रेजी भाषा की प्रशंसा करते नहीं थकते और अपनी मूल संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। “डेफाली” की तरह ये लोग पाश्चात्य संस्कृति की प्रशंसा में लगे रहते हैं, जिससे उनकी भारतीय पहचान धूमिल हो रही है।

प्रश्न 7: व्याख्या करें
(क) मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान।

उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने उस स्थिति को व्यक्त किया है जहाँ भारतीय लोग इतने अधिक पाश्चात्य संस्कृति में डूब चुके हैं कि उन्हें पहचान पाना मुश्किल हो गया है। उनकी वेश-भूषा, भाषा, और व्यवहार पूरी तरह से अंग्रेजी हो चुके हैं, जिससे उनकी भारतीय पहचान गायब हो गई है।

(ख) अंग्रेजी रूचि, गृह, सकल वस्तु देस विपरीत।

उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि भारतीय लोगों का रुझान अब पूरी तरह से अंग्रेजी और विदेशी वस्तुओं की ओर हो गया है। उनका रहन-सहन, घरों की सजावट, और सभी जीवनशैली विदेशी हो गई है, जो कि स्वदेशी भावना के विपरीत है।

प्रश्न 8: आपके मत से स्वदेशी की भावना किस दोहे में सबसे अधिक प्रभावशाली है? स्पष्ट करें।

उत्तर:
मेरे विचार में दोहा संख्या 9 में स्वदेशी की भावना सबसे अधिक प्रभावशाली है। इस दोहे में कवि ने भारतीय संस्कृति की पवित्रता और सरलता की तुलना विदेशी सभ्यता की जटिलता से की है। कवि ने कहा है कि यदि भारतीय लोग अपनी संस्कृति का सही ढंग से पालन नहीं कर पा रहे हैं, तो वे विदेशी संस्कृति को कैसे संभालेंगे। यह दोहा स्वदेशी भावना को सबसे गहन और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करता है।

महत्पूर्ण लिंक

क्र. सं.ChapterLink
1.श्रम विभाजन और जाति प्रथा ( निबंध )View Now
2.विष के दांत ( कहानी )View Now
3.भारत से हम क्या सीखें ( भाषण )View Now
4.नाख़ून क्यों बढ़ते है ( ललित निबंध )View Now
5.नागरी लिपि ( निबंध )View Now
6.बहादुर ( कहानी )View Now
7.परंपरा का मूल्याकन ( निबंध )View Now
8.जित-जित मैं निरखत हूँ ( साक्षात्कार )View Now
9.आविन्यों ( ललित रचना )View Now
10.मछली ( कहानी )View Now
11.मौतबखाने में इबादत ( व्यक्तिचित्र )View Now
12.शिक्षा और संस्कृति ( शिक्षाशास्त्र )View Now

काव्य खंड

क्र. सं.ChapterLink
1.राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुःख में दुख नहिं मानेंView Now
2.प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारोंView Now
3.अति सूधो सनेह को मारग है, मो अन्सुवानिहीं ले बरसोंView Now
4.स्वदेशीView Now
5.भारतमाताView Now
6.जनतंत्र का जन्मView Now
7.हिरोशीमाView Now
8.एक वृक्ष की हत्याView Now
9.हमारी नींदView Now
10.अक्षर -ज्ञानView Now
11.लौटकर आऊगा फिरView Now
12.मेरे बिना तुम प्रभुView Now

Filed Under: Blog

About Ankit Banger

Even the best website with the most incredible content in the world won’t get very far if the people who would love it can’t actually find it in the first place.

Behind every wildly popular website is a terrific search engine optimization (SEO) strategy. But it’s important to understand that one SEO technique isn’t necessarily just as good as another.

Unethical black hat SEO techniques like cloaking may get a site ahead initially, but they also go against search engine guidelines.

Follow me:

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Design

With an emphasis on typography, white space, and mobile-optimized design, your website will look absolutely breathtaking.

Learn more about design.

Recent Posts

  • Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 12 : मेरे बिना तुम प्रभु
  • Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 12 : मेरे बिना तुम प्रभु
  • Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 11 : लौटकर आऊंगा फिर
  • Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 10 : अक्षर-ज्ञान
  • Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 9 : हमारी नींद
PDFStore.co.in Logo

“You will get all your competitive exam related notes, quizzes and important question-answers on the website, which will make your preparation more efficient and make you completely prepared for the exam.”

Importent Links

  • Home
  • Privacy Policy
  • Terms And Conditions 
  • About 
  • Contact 
  • Refund and Returns Policy
  • shipping and deliver
  • Sitemap

Popular Category

  • Home
  • Blog
  • Bihar Board 10
  • Bihar Board
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions

Content

Our team will teach you the art of writing audience-focused content that will help you achieve the success you truly deserve.

Learn more about content.

Copyright © 2025 · Genesis Sample on Genesis Framework · WordPress · Log in